मोदी सरकार के साइड इफेक्ट


मोदी सरकार के साइड इफेक्ट

मोदी सरकार के साइड इफेक्ट

“भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है”

आठवीं कक्षा के नागरिक शास्त्र के पाठ्यक्रम से ही यह वाक्य पढ़ाया जाता है । छात्र इसे खूब रटते है, परीक्षा भी पास करते है, लेकिन मुझे नही लगता कि सभी छात्र इसका अर्थ भी समझते है । क्योंकि यही छात्र जब राष्ट्र निर्माण में हिस्सा लेते है तो अपने फायदे के लिए धर्म और जाति का नाम खूब इस्तेमाल करते है । तब ये भी नही सोचते कि लोग भड़क सकते है । इसका समाज पर बुरा असर पड़ेगा । आज का सामाजिक परिवेश इसका जीता जागता उदाहरण है । समाज में एक-दूसरे के प्रति वैमनस्यता फैलाई जा रही है । और ये वो लोग है जिन्होनें समाज में धर्म फैलाने की जिम्मेदारी ली हुई है । क्या धर्म फैलाने का मतलब ये होता है कि दूसरे धर्मों के लोगो के प्रति उसे घृणा से भर दो । आपस में लड़वा दो। मार-काट करवा दो।

भारत धर्मनिरपेक्ष कैसे है
[Image Source : Maps of India]

आज पूरा समाज धर्म के नाम पर अलग-अलग खेमे मे बँट गया है । राजनीतिक पार्टियाँ जिन्हे भारत के विकास के लिए राजनीति करनी चाहिए थी वो भी धर्म की राजनीति करने लगे है । अलग-अलग पार्टियों की पहचान भी धर्म और जाति के नाम पर होने लगी है। पूरा समाज भी अपनी-अपनी धर्म और जाति से सम्बंधित पार्टियों को लेकर अलग-अलग बँट गया है ।

भारतीय जनता पार्टी जिसका अस्तित्व ही हिंदुत्व पर टिका हुआ है वो लाख कोशिश कर ले मुस्लिमो को समझाने की, कि हमारी पार्टी सबका साथ और सबका विकास करेगी लेकिन मुस्लिम ये मान ही नही सकते क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में बहुत ऐसे भी भगवाधारी नेता है जो मुस्लिमों के लिए समय-समय पर उलटा-सीधा बोल कर उसे याद दिलाती रहती है कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ हिंदु के लिए सोचती है मुसलमानो के लिए नही ।

अब ओवैसी की पार्टी को देखिये जिसे कभी कोई हिंदु वोट नही दे सकता क्योंकि उसकी पार्टी में भी ऐसे नेता है जो भारत से हिंदुओं का विनाश करने की बात करते है । वो अपने क्षेत्र में 60% की जनसंख्या चाहते है जिससे वो उस क्षेत्र से हिंदुओं को मार भगा सके । इसलिए वो अपने मुसलमान भाईयों से जनसंख्या बढ़ाने पर जोर देते है ।

और भी पार्टियाँ जैसे काँग्रेस है, तृणमूल काँग्रेस है, सपा है , बसपा है , जदयू है , राजद है सभी पार्टियाँ किसी न किसी खास धर्म और जाति के लोगों को रिझाने मे लगी हुई है । आजकल सभी पार्टियाँ धार्मिक हो गई है । और जो धर्म के ठेकेदार है मुल्ला है , मौलवी है , साधु है , संत है , फादर है ये सब राजनीति करने में दिलचस्पी लेने लगे है । कोई रेप काण्ड में भी लिप्त पाये गये है तो कोई पाखंड भी करते पकड़े गये है , पाखंड के नाम पर इनका व्यापार खूब फलता-फूलता है ।

ओवैसी के भड़काउ भाषण
[Image Source : Aajtak]

अभी हाल के कुछ वर्षो में ये घटनाये कुछ अधिक होने लगी है । राम के नाम पर, गाय के नाम पर, भिन्न जाति या धर्मो के युवक युवतियों के शादी के नाम पर समाज में जो घटनाये घट रही है उसका जिम्मेदार कौन है? इतना मै अवश्य कह सकता हूँ कि जो राम के नाम पर दंगे करते है उनका राम से कोई सम्बंध नही हो सकता । क्योकि जिनका राम से सम्बंध है उनका दंगे से कोई सम्बंध नही हो सकता । जो लोग गाय के नाम पर दंगे करते है उनका गाय से कोई सम्बंध नही हो सकता क्योंकि अगर उनका गाय से सम्बंध होता तो आज गाय की दुर्गति इस तरह से नही होती । मोहब्बत करने वालो को जला देने वाले लोग भी वही होते है जो कभी मोहब्बत का पाठ पढ़ाया करते थे, मोहब्बत के गीत , भजन और कथा गाया करते थे । अजीब स्थिति होती जा रही है इस समाज की ... आखिर क्यों?

जैसे गलियों में आवारा पशु घूमते रहते है, भौंकते और चिल्लाते है, कही भी कुछ भी खा लिया, किसी को काट लिया, किसी का कुछ नुकसान कर दिया । इसी तरह आजकल भारतीय राजनीति में कुछ आवारा किस्म के नेता शामिल हो गये है जिनकी संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा भी हो रहा है । आजादी इतनी मिल गई है कि कुछ भी बोलने में नही हिचकते। करने में भी संकोच नही होता इन्हे, डर नही है इन्हें कानून का, प्रशासन का । जो सरकार में बैठे है वो पल्ला झाड़ लेते है ये कह कर कि सभी को आजादी है बोलने का (क्या आजादी ये है कि कोई भी समाज में द्वेष और घृणा फैलाये?) , जो विपक्ष में है एक दो दिन वो भी चिल्लाकर बैठ जाते है । मीडिया को भी एक हॉट विषय मिल जाता है बहस करके अपनी टी0आर0पी0 बढ़ाने का । नुकसान किसका होता है ? नुकसान होता है समाज का, समाज के लोगो के बीच मनमुटाव बढ़ता है । और ये मनमुटाव खतरनाक है समाज के लिए । यह कभी भी अपनी भयावहता का प्रदर्शन कर सकता है ।

अब देखिए कैसी-कैसी बाते कही जाती है - कभी हिंदुओं को आतंकवादी कहा जाता है तो कभी मुसलमानों को आतंकवादी कहा जाता है , कोई कहता है थोड़ी देर के लिए पुलिस हटा लो फिर हम बता देंगे कि हम मुसलमानों में कितनी ताकत है । कोई मुसलमानों को पाकिस्तान जाने की बात कह देता है । कभी कोई गाँधी के हत्यारे को थैक्यू बोल देता है । और भी न जाने क्या-क्या ...? सवाल उठता है कि इन सबका मतलब क्या है? ये सब बोलने वाले भी आजादी से घूम रहे है । सही मायने में ये सब बोलने वाले सबसे बड़े देशद्रोही है । भारत के धर्मनिरपेक्षता के आतंकवादी है। लोकतांत्रिकता के दुश्मन है ।

पाकिस्तान की हरकतें अगर पाक होती तो शायद भारत में देशभक्ति और देश पर मर मिटने का जज्बा भी इतना नही होता । पाकिस्तान की नापाक हरकते भारत में देशभक्ति की लहर और नापाक राजनीति करने का अवसर दे रही है । मुझे लगता है कि पाकिस्तान की हरकते भारत की राजनीति के लिए भोजन बन गया है लेकिन नुकसान किसको ... नुकसान हर भारतीय को होता है और फायदा सभी नापाक नेता उठाते है।

और जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है यहाँ तक कि सत्ता में आने के पहले से ही दूसरी पार्टियों के नेताओ ने मिलकर जातिवाद और धर्मवाद का ऐसा माहौल तैयार कर दिया कि मोदी के पूरे पाँच साल इस तरह की कई घटनाओं का साक्षी बन गया । इसमें मोदी सरकार का कोई हाथ हो या न हो गैर मोदी पार्टी के हाथ को भी अछूता नही माना जा सकता है । हाँ मोदी सरकार में भी कई ऐसे नेता है जो अपने अनर्गल बोली बोल कर अपने होने का एहसास पार्टियों और जनता को कराते रहते है । जैसे साध्वी प्रज्ञा , साक्षी महाराज, योगी आदित्यनाथ, गिरिराज सिंह , और भी है और बढ़ते ही जा रहे है । किसी भी साधु-संत, भगवाधारी , मुल्ला , मौलवी , और जो भी धर्म के तथाकथित ठेकेदार है इनको सुनकर देखिए , सभी के बोल अधार्मिक और असामाजिक है । ऐसे मे किसी अच्छे समाज की परिकल्पना भला कोई कैसे कर सकता है । मोदी सरकार भी इस मामले में खामोश है । क्या इस खामोशी का मतलब ये समझा जाए इसमे मोदी सरकार का भी पूरा-पूरा हाथ है ?

मोदी की केदारनाथ यात्रा
[Image Source : Amar Ujala]

समाज में जितने धार्मिक कर्मकाण्ड हो रहे है उससे कही ज्यादा मात्रा में अधार्मिक घटनाएँ भी घट रही है । फिर इन धार्मिकताओं का क्या मतलब ? कुछ असर नही हो रहा है इन कर्मकाण्डों का, मतलब अब ये सिर्फ पाखंड है । महिलाओ का सरेआम सामूहिक बलात्कार होता रहता है, मासूमों की हत्या होती रहती है , जघन्य से जघन्य अपराध किए जाते है, घृणित कार्य होते रहते है , और कोई इसे रोकने नही आता , कोई बचाने तक नही आता, न ही कोई राम न ही कोई अल्लाह। ये राम और अल्लाह तथाकथित मौलवी, मुल्लाओ , साधुओं , गुरुओं और धर्म के ठेकेदारो का अपना व्यापार चलाने का हथियार है जिसका इस्तेमाल बेवकूफ लोगो को पाप और पुण्य , जन्नत और दोजख के नाम पर डराकर चलाया जाता है । राम और अल्लाह सिर्फ मंदिर और मस्जिद बनाने और इस पर लड़ने और राजनीति करने के लिए संसाधन मात्र रह गये है । हत्यारे और अपराधी न तो कानून से डरते है और न ही किसी राम और अल्लाह से । क्योंकि उसे दोनो से बचने के रास्ते मालूम है...। कानून से बचने के लिए किसी नेता या पार्टी मे शरण में जाओ और कानून की आँखों मे सालो तक धूल झोंकते रहो। और मजे लेते रहो। और दूसरे राम और अल्लाह है ही नही जिसे डरा जा सके।

मोदी भी धार्मिक अनुष्ठानों में ज्यादा व्यस्त रहते है । धार्मिक अनुष्ठानों में व्यस्त रहने वालो को समाज में होने वाले दुष्कर्म, कुकृत्य दिखाई नही देते । अब एक बार और भारत की जनता ने मोदी पर भरोसा जताने की कोशिश की है । तो क्या मोदी सरकार भी इसी तरह समाज को धर्मवाद और जातिवाद के दलदल में फँसा छोड़कर अपने धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में सोचेगी ? या फिर जनता के भरोसा पर खरा उतरकर एक अच्छे शासक की तरह जनता को धर्मवाद और जातिवाद के जाल से निकाल कर समाज को सुशासन की तरफ ले चलेगी ?

आज के समाज के वातावरण को देखकर मन में बहुत सवाल उठते है कि भारत की धर्मनिरपेक्षता का इतना भयावह रुप क्यों ? धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाने वालो ने क्या इसकी परिभाषा बदल दी है ? या भारत अब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र नही रहा ?

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