जुस्तजू
जुस्तजू
जिसे चाहो नहीं जमाने में, मिल जाती है
जुस्तजू हो जिसकी अक्सर, मिला नही करते ।
अभी पी ले जितनी पीनी हो, जान बाकी है
कभी साँसों पे भरोसा, किया नही करते ।
पूछ ले किसी अपनों से, ये राह किसकी है
अजनबी की बातों पे यूँ, जाया नहीं करते ।
ढूँढ ले जिसे ढूँढना हो, अभी मैं भी हूँ
यूँ शाम ढलनेे पे तनहा, फिरा नही करते ।
मुझसे है ख़फा पर, खुद से न होना कभी
दिल की बातें औरों से, कहा नही करते ।
मिल लेना गैरों की तरह ही, मिलूँ जो कभी
ऐसी मोहब्बत यूँ ही, भुलाया नही करते ।
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