My article published in Dainik Jagran Newspaper
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कई साल पहले की बात है जब इस देश के मशहूर अखबार दैनिक जागरण ने नए लेखको मे अपने लेखन कार्य को प्रोत्साहित करने के लिए एक ब्लॉग साइट की शुरुआत की थी जिसका नाम जागरणजंक्शन॰कॉम था। इस साईट से सभी नए और पुराने लेखको को अपने लेखन कला पर धार तेज करने का मौका मिला। दैनिक जागरण ने सभी लेखको के लेखन को निखारने व लेखन मे प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए कई प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया था। सभी लेखको और ब्लॉगरों ने इन प्रतियोगिताओं मे बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और पुरस्कार भी जीता था । एक खास पुरस्कार जो दैनिक जागरण लेखकों और ब्लॉगरों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिदिन देती थी वो ये था कि दैनिक जागरण अखबार के संपादकीय पृष्ठ पर सम-सामयिक अथवा उत्तम दृष्टि से उचित होने पर दो ब्लॉग के कुछ अंश को प्रकाशित करती थी साथ ही साथ उस ब्लॉग का लिंक भी देती थी जिससे कोई भी ऑनलाइन जाकर पूरा ब्लॉग पढ़ सके।
आज मेरे इस चर्चा का कारण ये बताना नहीं कि मैं भी उन ब्लोगरों में से एक था जो अपनी लेखन की कला पर धार लगा रहा था। कारण ये है कि आज अपने पुराने कागजातों को उलटने-पलटने मे अखबार की उस कटिंग को देखकर अपने पुराने दिन याद आ गये और उन यादों को सँजोने हेतु मैंने सोचा कि इसे अपनी बेवसाईट पर डाल दूँ जिससे जब चाहे पुरानी यादे ताजा की जा सके। हालाकि मैं कोई बड़ा लेखक नही हूँ, लेकिन लेखन कार्य मे जो मेरे रुचि रही है उसकी वजह से कभी-कभी कुछ अच्छी कविताए व समसामयिक विषयों पर कुछ अच्छे लेख लिखा करता रहा हूँ | परिणामस्वरूप दैनिक जागरण ने मेरे कई लेख को प्रकाशित किया था और हजारो लेखकों मे टॉप 20 लेखकों मे मुझे जगह दिया था। इसके लिए दैनिक जागरण टीम को तहे दिल से धन्यवाद ।
पता नही क्यों दैनिक जागरण ने वह ब्लॉग साईट किस वजह से बंद कर दी । और लगभग सभी लेख को दैनिक जागरण ने अपने जागरण डॉट कॉम पर स्थानांतरित कर दिया है जिससे वह लिंक निष्क्रिय हो गया है जो अखबार मे प्रकाशित था। खैर हम अपनी यादे तो ताजा कर ही सकते है कुछ ब्लॉग नए लिंक पर मिल भी गए है तो मैं आपको नए लिंक के साथ अपनी वो सभी लेख यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ।
84 कोसी परिक्रमा पर हो रही राजनीति पर जो मैंने लेख लिखे थे 25-8-2013 को, उसके एक या दो दिन बाद दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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क्रिकेट के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने जब क्रिकेट को अलविदा कहा था तब मेरा लेख 12-10-2013 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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संजय दत्त को जब जेल से पेरोल पर छोड़ा गया था तब यह लेख 16-10-2013 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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फेलिन जैसे तूफान के थमने के बाद जो राजनीति होने लगी थी तब मेरा लेख 18-10-2013 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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जब शास्त्रीय संगीत के गुणी और मखमली आवाज के शहंशाह इस दुनिया को छोड़ गये थे तब यह लेख 29-10-2013 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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जब भाजपा-जेडीयू गठबंधन टूट गया था तब यह लेख 01-11-2013 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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जब पहली बार अरविंद केजरीवाल के दिल्ली विधान सभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनने के लिए दांव-पेंच और राजनीति हो रहा था तब यह लेख 12-12-2013 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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अन्ना हज़ारे के अनशन के बाद जब लोकपाल कानून लाया गया था तब यह लेख 20-12-2013 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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जब 2014 मे मोदी ने लोकसभा मे ऐतिहासिक जीत दर्ज किया था तब यह लेख 17-05-2014 को दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था
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एक कविता जो मानव द्वारा किए जा रहे कृत्यों से मानवता पर उठा रहे मेरे मन मे सवाल पर लिखा था वह भी दैनिक जागरण ने अपने संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित किया था लेकिन न तो इसका प्रकाशन दिन याद है और न ही इसका लिंक, दैनिक जागरण द्वारा संशोधित न किए जाने की वजह से मिल नहीं पाया है, यह कविता मेरे ही साईट पर उपलब्ध है
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उन दिनों और भी कई क्षेत्रीय मासिक व साप्ताहिक अखबारों में मेरे कई लेख प्रकाशित हुए थे । जैसे निर्झर टाइम्स, युवा सुघोष, सुप्रीम न्यूज ।
यह लेख उन यादों को ताजा करने और उसे सँजोने के लिए था। बस ... धन्यवाद
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