ज़ख्म-ए-दिल


ज़ख्म-ए-दिल
ज़ख्म-ए-दिल

ज़ख्म-ए-दिल

कोई बात पुरानी न कीजिए
सैकड़ों ज़ख्म है इन्हें हवा न दीजिए

जिगर से कीमती है ये ज़ख्म मेरे
मेरा मुझसे फिर जुदा न कीजिए

रहम नहीं एक सितम और चाहिए
इस मीठे दर्द की कोई दवा न दीजिए

गुलशन के साज-ओ-साज है आपके लिए
तूफाँ आए जो मुझपर तो वफा न कीजिए

जिन्हें तलब है रहनुमा के वहाँ जाइए
जीस्त की राह में मेरे कोई एहसाँ न कीजिए

0 comment(s)

Leave a Comment