ज़ख्म-ए-दिल
ज़ख्म-ए-दिल
कोई बात पुरानी न कीजिए
सैकड़ों ज़ख्म है इन्हें हवा न दीजिए
जिगर से कीमती है ये ज़ख्म मेरे
मेरा मुझसे फिर जुदा न कीजिए
रहम नहीं एक सितम और चाहिए
इस मीठे दर्द की कोई दवा न दीजिए
गुलशन के साज-ओ-साज है आपके लिए
तूफाँ आए जो मुझपर तो वफा न कीजिए
जिन्हें तलब है रहनुमा के वहाँ जाइए
जीस्त की राह में मेरे कोई एहसाँ न कीजिए
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