प्रार्थना: हे दयानिधे कृपा करो
हे दयानिधे कृपा करो
हे दयानिधे कृपा करो
हम दीनों पर दया करो
तु ही राम और अल्लाह है
हर धर्म का एक राह है
संसार के हर रीत मे
हर प्राणियों के प्रीत मे
तू ही बसा हर सांस मे
दुःख से उबरने की आस में । हे दयानिधे...
दीनों की खातिर दानी हो
भटकों के लिए ज्ञानी हो
भटके हुए हम राही है
दिखता न कुछ अज्ञानी है
एक हाथ खोल दे दान का
कुछ दे दे अमृत ज्ञान का । हे दयानिधे ...
सारा जगत तुझे ढ़ूँढ़ता
दैरो हरम मे घूमता
हर दिल मे बसने वाला तू
सब कुछ समझने वाला तू
तेरा आदि है न अंत है
फिरभी चोरी झूठ प्रपंच है। हे दयानिधे ...
देखते है हम जिधर
आता नही है कुछ नजर
भँवर मे है फँसे हुए
लहरो से है डरे हुए.
आके तुम उबार लो
हम दीन को सँवार लो । हे दयानिधे ...
रिश्तों के जो यहाँ मेले है
मतलबपरस्ती के ठेले है
अपने गैर का मिटा भरम
प्रेम का समझा धरम
कर्मयोगी बना हमें
सन्मार्ग तू दिखला हमें । हे दयानिधे ....
तूने जगत मे ये क्या किया
अंधकार फैला दिया
व्यभिचार सबको घेरे है
चोरों ने डाले डेरे है
शैतानों का संहार कर
तु दुष्टों पर प्रहार कर । हे दयानिधे...
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