मानवता का दीप जले


मानवता का दीप जले

ऐसा ही कुछ काम कर चले

मानवता का दीप जले फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले

जग मे फैल रहा अन्धियारा
भाईयों मे हो रहा बँटवारा
आओ प्रीत यहाँ फैलाये
जाति धर्म भले मिट जाये
रीत प्रीत की चले यहाँ फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले

भय, भूख और भ्रष्टाचार
चारो तरफ है अत्याचार
रक्त-पिपासु बनते जा रहे
मानवता को खोते जा रहे
आपस मे युँ प्रेम जगे फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले

अपनी खातिर जंग कर रहे
आबरू-इज्जत भंग कर रहे
मासूमो को कहाँ छुपाए
अपनी व्यथा को किसे सुनाए
जीने की उम्मीद जगे फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले

हैवानों के रूह दहल उठे
फूलों पे शमशीर जब उठे
चौराहे पर उसकी सजा हो
शांति की हर ओर ध्वजा हो
चैन की सांसे हर कोई ले फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले


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नाते-रिश्ते टूट जाये सब
अपने-पराये भूल जाये सब
प्रेम यहाँ है और रहेगा
इसके बिना कोई जी न सकेगा
इंसानो को बस याद रखे फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले

हर ओर सिपाही जाग जाये अब
प्रेम के दुश्मन भाग जाये अब
दरिन्दो की अब खैर नही है
एक है हम सब गैर नही है
दुश्मन के सिर उठे नही फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले

उस हैवानो से लड़ना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
प्रेम के दीप जलाये फिर से
सत्य धर्म फैलाये फिर से
कोशिश होगी कामयाब फिर
ऐसा ही कुछ काम कर चले

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