कोरोना : गलती किसीकी ? सजा किसीको ?
कोरोना : गलती किसीकी ? सजा किसीको ?
वैश्विक महामारी बन चुकी कोरोना, जिसके ज़द में पूरा विश्व आ चुका है। पूरी मानव जाति एक ऐसे गम्भीर संकट में फँस चुका है जिसका इलाज अभी तक 3 महीने से अधिक बीत जाने के बाद भी नही खोजा जा सका है, इसमें अभी और कितना समय लगेगा कुछ कहा नही जा सकता। क्योंकि इसकी दवा खोजने में इस कोरोना वायरस की पूरी Life-cycle, इसका behaviour, इसका weakness, इसके नष्ट हो जाने के बाद भी कितने दिनों तक शरीर में इसका असर रहता है या नही। अगर इसकी कोई दवा खोज भी ली जाए तो इसकी Testing की जाएगी, दवा कितने दिनों में असर करेगा, कितना करेगा, दवा कितनी बार दी जाएगी, इस तरह के बहुत सारे सवालों के जबाव भी खोजने है । फिर उसके बाद ही उस दवा को अमल में लाने के बारे में सोचा जाएगा । फिर इतनी बड़ी मात्रा में इसका manufacture भी करना होगा। कितना बड़ा संकट है ये।
पूरा विश्व पहले से ही अर्थव्यवस्था, आतंकवाद, प्रदूषण, असंतुलित हो रही पर्यावरण जैसे अनेक संकटों से जूझ रहा था। और अब एक नया संकट इस विश्व के सामने आ खड़ा हुआ है "कोरोना" (Corona)। कोरोना एक ऐसा संकट है जिसके बारे में हम अभी तक जानने की कोशिश ही कर रहे है । और इस दौरान हजारों की संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवा दी है, और ये सिलसिला लगातार अपने क्रम में बढ़ता ही जा रहा है । देश की सरकार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, वैज्ञानिक सभी मूकदर्शक बने हुए है। बस एक ही विकल्प बचा है Lockdown और Curfew.
संकट चाहे कोई भी हो वह यूँ ही नही आ जाता । उसे लाया जाता है किसी-न-किसी के द्वारा, किसी गलत सोच से, किसी गलत फैसले से, किसी गलत इरादे से, किसी लापरवाही से, चाहे ये किसी सरकार द्वारा हो, या आम जनता द्वारा । हर हाल में हर संकट का परिणाम आम जनता को ही भुगतना होता है, चाहे वो अपनी जान देकर हो या जहान देकर । किसी भी संकट के समाधान या विकल्प के बारे में, उस संकट की पहली अवस्था में अगर नही सोचा या किया जाए तो बाद में तो सिर्फ जान ही बचता है जिसका उपयोग आम जनता खूब और आसानी से करते है और दुःखी होते है ।
जैसा कि विदित है कि कोरोना वायरस और उससे फैली इंसानों में बीमारी की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई, विकल्प अगर वहीं सोचा जाता और उस विकल्प को अमल में लाया जाता तो वायरस वुहान शहर से आगे नही बढ़ता । लापरवाहियों के दौर की शुरुआत यहाँ से हुई । चीन ने अपनी लापरवाही को छुपाया, कोरोना की बीमारी को छुपाया। उसके बाद जब सभी देश और भारत भी जब अपनी-अपनी जनता को चीन से वापस बुलाने लगे तो उनकी सही से जाँच नही की गई, Isolation में नही रखा गया और कोरोना इन्ही लोगों से अन्य लोगों में फैलता चला गया । और परिणाम ये हुआ कि आज जो कोरोना से संक्रमित है वो तो संकट में है ही और जो बचे है वो कोरोना के भय से संक्रमित है । इस तरह से देखा जाए तो विश्व की एक-एक जनता कोरोना से ग्रसित है । आज जब यह वायरस अपने पूरे चरम पर है तो Lockdown, Full Lockdown या Curfew लगाया गया है । कोरोना की ऐसी भयावहता के बारे में जानकर, सुनकर और देखकर भी कुछ लोगो को ये विकल्प रास नही आ रहा है, और वो घर से बाहर निकल कर सैर कर रहे है । ये आम जनता द्वारा किया जाने वाला अंतिम लापरवाही है जिसके बाद लापरवाही करने वाला कोई बचता नही है वह स्थिति आनेवाला है। समझ नही आता कि ऐसे लोगो को क्या समझाया जाए कैसे समझाया जाये ।
अब जब कोरोना आपदा अपने तीसरे और निर्णायक चरण में पहुँच गया है तो पीएम मोदी जी द्वारा आखिरी विकल्प के रुप में पूरे भारत में 21 दिनों का सम्पूर्ण लॉकडाउन किया गया है । अभी आने वाले दिनों में कोरोना पर अंतरर्राष्ट्रीय जंग भी होगी । ये जंग आर्थिक, व्यापारिक या किसी और तरीके से भी हो सकती है। लेकिन अभी हम ये सोचने में वक्त खराब न करे कि किसकी गलती थी, अमेरिका की या चीन की, इसके बारे मे सोचने के लिए और भी वक्त आयेंगे। हमारे पास अभी सोचने के लिए सिर्फ एक ही विषय है कि हम अपनी जान कैसे बचाये । और इसके लिए सरकार द्वारा जो निर्देश जारी किए जाते है उसका अक्षरशः पालन करना, उसमें सहयोग करना ताकि देश की व्यवस्था बनाने में सरकार को आसानी हो । हमे यह समझना होगा कि अगर आज हमने अब थोड़ी सी भी लापरवाही की तो इसका खामियाजा भी हमें ही भुगतना होगा, इसलिए सावधान रहे, सतर्क रहे।
यह भी पढे कोरोना: क्या डरना जरूरी है ?
समाज के वो वर्ग जो मजदूर है, रोज कमाते है और परिवार चलाते है उन्हें तकलीफ ज्यादा होगी। लेकिन उन्हें भी इस संकट की भयावहता के बारे में समझकर आगे बढना होगा इसमें सहयोग करना होगा । ये 21 दिन काटने होंगे । सरकार इस पर भी सोच रही है कुछ न कुछ करेगी ।
समाज के वो वर्ग जिन्हें घर पर रहने से ऊब हो रही है। उन्हें अपने काम की वजह से शिकायत करने का मौका रहता था कि उनके पास समय नही है अपने परिवार के साथ समय बिताने का । वो इन 21 दिनों का पूरी तरह से उपयोग करे और अपने परिवार के साथ घर पर बिताये, कुछ आराम करें, आपने बहुत काम किया है, कुछ छुट्टी मनाइये, परिवार के साथ, और अपनी शिकायत दूर करे और देशहित में काम करें । सुबह उठे, योग करे अपने पूरे परिवार के साथ, अभी पर्यावरण भी शुद्ध हो गया है, इससे आपकी Immunity भी बढेगी और दिन भर आप अच्छा महसूस करेंगे ।
और क्या खूब है कि कुछ लोग देशहित के लिए अपनी जान गँवा कर देश की रक्षा करते है । और आज अपनी जान अपने घर में दुबका कर, बैठ कर देश की रक्षा करने का मौका मिला है । कुछ करना नही है और देशहित में कुछ काम हो जाएगा । इसलिए इसे गँवाये नही, देशहित में कुछ तो करें।
विपदा मानव पर आया है
संकट का अंधेरा छाया है
संकट हर टल जाता है
जब मानव धैर्य दिखाता है
सुःख न हमेशा रहता है
न दुःख ही ठहरा रहता है
प्रकृति का नियम है ये
समय बदलता रहता है
साँझ ढला है रात हुई है
पल-पल पहर ये बीत रहा है
इंसान बने और संयम रखे
संकट रात का बीत रहा है
घनघोर अंधेरा होता है जब
संकट छँटने वाला होता है
कुछ न करो बस मौन रहो
अपने समय से सुबह भी होता है
सुबह की लाली आयेगी
चिड़ियाँ-मोर भी चहकेगा
ठंढ़ी-ठंढ़ी हवा चलेगी
जब सुबह का सूरज निकलेगा
जन्नत
आप अच्छा ब्लॉग बनाते हैं धन्यवाद