कभी कुछ कर के देखो
कभी कुछ कर के देखो
धूल दर्पण से कभी हटा कर देखो
नक़ाब चेहरे से कभी हटा कर देखो
सूखे तिनकों के घोसलें में भी बनते है रिश्तें
अपने रिश्तों को कभी निभा कर देखो
गैर दीवार में दरार न तलाश करो
अपना एक घर कभी बना कर देखो
अपने ख्वाब होते है सबके बेशकीमती
अपने ख्वाबों को कभी सजा कर देखो
उनके गिले-शिकवे बैठ कर गिनते हो
मोहब्बत को मोहब्बत से कभी बुला कर देखो
बाज़ार में आए है चंद नए सिक्के
रिश्तों की भट्ठी में इन्हें कभी तपा कर देखो
अपने आरज़ू के मुकम्मल को जिंदगी कहते हो
किसी रोते चेहरे को कभी हंसा कर देखो
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