न पूछिये


न पूछिये

न पूछिये

मुझसे मेरे दर्द की इंतेहा, न पूछिए,
किस-किसने दिए है ज़ख्म, न पूछिए।

जरा हालात क्या बदले वो वो न रहे,
कब किस वजह के थे आँसू, न पूछिए।

आते थे सब अपने मतलब के लिए,
फिर देते थे दग़ा कैसे-कैसे, न पूछिए।

जो भी था अपने पास एक दिल ही था,
सबने तोड़ा था उसे कैसे-कैसे, न पूछिए।

लहू मेरा था और ज़िक्र सबने अपने किए,
ये दोस्त किसके दोस्त थे, न पूछिए।

आज खड़े है सामने मेरी मुख़ालफत में,
हवायें बदलती है रुख कैसे-कैसे, न पूछिए।

मेरा मुझ पर है यकीन जिससे जिंदा हूँ,

वरना बैठे है यहाँ बाज़ कैसे-कैसे, न पूछिए।

Na Puchhiye

mujhse mere dard ki inteha n puchhiye,
kis-kisne diye hai zakhm n puchhiye.

jara halaat kya badale wo wo n rahe,
kab kis wajah ke the aansu, n puchhiye.

aate the sab apne matlab ke liye,
fir dete the daga kaise-kaise, n puchhiye.

jo bhi tha apne paas ek dil hi tha,
sabne toda tha use kaise-kaise, n puchhiye.

lahu mera tha aur zikr sabne apne kiye,
ye dost kiske dost the, n puchhiye.

aaj khade hai saamne meri mukhalfat me,
hawayein badalti hai rukh kaise-kaise, n puchhiye.

mera mujh par hai yakeen jisse zinda hu,
warna baithe hai yahaan baaj kaise-kaise, n puchhiye.

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