गणेश वंदना | जय गणेश बोलो
गणेश वंदना | जय गणेश बोलो
जय गणेश बोलो जय गणेश -2
जय गणेश गणपति गजानन
बल-बुद्धि है तुम्हरे कारण
मस्तक मणि मुकुट अति शोभे
कर अंकुश वर वेद विराजे ॥ जय गणेश बोलो...
उमापति महादेव के लाला
एक दंत हो देव निराला
मूषक वाहन निकट अति शोभे
भोजन मोदक जिन्हे अति भावे ॥ जय गणेश बोलो...
मात-पिता मे त्रिलोक देखा
बुद्धि से तुमने सब कुछ जीता
शुभ कारज मे हो तुम पहले
भक्ति तुम्हारी देव भी करते ॥ जय गणेश बोलो...
लेखन पद्धति शुरू कराई
महाभारत को लिख के बताई
लंबोदर तुम हो कहलाते
लोभ मोह और क्रोध हराते ॥ जय गणेश बोलो...
जितने रंग के गणपति होते
फल भी उतने पूरे करते
हम अज्ञानी को बुद्धि दे दो
जग मे शांति, समृद्धि दे दो ॥ जय गणेश बोलो...
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