कोरोना : ये कैसा लॉकडाउन है ?


कोरोना : ये कैसा लॉकडाउन है ?

कोरोना : ये कैसा लॉकडाउन है ?

कोरोना जैसी महामारी का इलाज अभी तक नही खोजा गया है ये सभी जानते है। अभी तक इसकी Testing kit भी सही मात्रा में उपलब्ध नहीं है । अगर है तो वह भी सस्ती और आसानी से उपलब्ध नही है। इससे बचने का एक ही तरीका था कि लोग एक-दूसरे से मिलना-जुलना बंद कर दे । भीड़ से दूर रहे । क्योंकि कोरोना छुआ-छूत की तरह है। अगर आप भीड़ से दूर रहेंगे, मिलने से बचेंगे तो यह बीमारी नही फैलेगी। इसलिए सरकार का फैसला था कि आप सभी घर से न निकले। एक-दूसरे से दूरी बनाये रखे। किसी को न छूए। इसी को लॉकडाउन कहा गया ।

जब देश के प्रधानमंत्री मोदी ने 21 दिन के लिए पूर्ण लॉकडाउन रहने को कहा तो सभी डॉक्टरों ने इस महामारी की तत्कालीन परिस्थिति को देखते हुए उचित बताया, और लोगो से अपील करते हुए कहा कि चाहे जैसी भी परिस्थिति हो घर बाहर न निकले अगर अति-आवश्यक न हो । अगर निकलना आवश्यक हो तो एहतियात के साथ ही निकले । और अनावश्यक बाजार में न घूमें । इस तरह की अपील लगभग सभी नेताओं, कलाकारों और अन्य जाने माने लोगों ने की । ये सभी जानते है कि भारत जैसे देश में न अमीर लोगो की कमी है और न गरीब की। समय-समय पर जब भी देश किसी संकट में फँसा है तो पूरा देश एक होकर उस संकट का सामना किया है । हर तरह की आपदाओं में सभी ने एक-दूसरे की मदद की है । और ये कोरोना सिर्फ भारत के लोगो के लिए संकट नही अपितु पूरे विश्व का संकट है। तो ऐसी स्थिति में तो मदद स्वाभाविक है और भारत के शासक कोई हिटलर नही है कि देश की जनता को यूँ ही आग में झुलस जाने देंगे। चूँकि देश की जनसंख्या विशाल है तो मदद पहुँचने के देर हो सकती है पर ऐसा नही है कि कुछ नही करेगी या सरकार बिल्कुल अनसुना-अनदेखा कर देगा । और सरकार से पहले तो देश की जनता भी एक-दूसरे की मदद करने तो हमेशा तत्पर दिखाई देती है और अभी भी मदद दे रही है । टाटा, बिड़ला, अम्बानी जैसे कई उद्योगपतियों ने भी मदद की घोषणा भी कर दी है ।

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अप्रवासी मजदूरों का पलायन
चित्र साभार : लाइव हिंदुस्तान

इतना सब होने के बाद भी, अगर कोई इस लॉकडाउन को तोड़ कर भारी-भीड़ इकट्ठा कर लोग ये कहे कि मुझे अपने गाँव जाना है । मरेंगे तो अपने घर पर ही मरेंगे । तो इस बेवकूफी को कोई क्या कहेगा? अरे जब आप मरने को तैयार ही हो तो यही मर जाओ । आप इतना नही समझते कि हजारों की भीड़ जमा करके तुम घर जाने का सपना देख रहे हो। उसी भीड़ में चाहे बस से जाओ या ट्रेन से या किसी और सवारी से, और कोरोना भी यही चाहता है कि तुम भीड़ में आओ जिससे हम और भी फैल जाए। और आप कोरोना लेकर गाँव जाओगे और अपने बूढे माँ-बाप के लिए यही ले जाओगे । आप से पहले आपके माँ-बाप मरेंगे। क्या आप यही चाहते है? आपके सामने आपके माँ-बाप तड़पे और आप कुछ न कर पाये। आप ये कैसी उम्मीद लगा रहे है कि जिस बीमारी का इलाज अभी बड़े-बड़े शहरों में उपलब्ध नही हो पा रहा है वह भला आपके गाँव में कैसे हो पायेगा? ये हजारों की भीड़ जिसमें आप इकट्ठा हो रहे हो इसमें हर कोई एक मानव बम जैसा है जो कभी भी फूट सकता है । और जिसके फूटने पर फिर लाखो मानव बम बन जायेंगे।

एक तरफ जहाँ मोदी जी बार-बार लोगों को लॉकडाउन होने को कह रहे है, और वही दूसरी तरफ कुछ ऐसे भी लोग है जो आने वाले कोरोना के भीषण संकट से बेखौफ, भीड़ इकट्ठा कर रहे है और अपना उल्लू सीधा कर रहे है। उदाहरण के तौर पर दिल्ली के निजामुद्दीन मे मुस्लिमों के जमात में सैंकड़ो की संख्या में, विश्व के कई देशों के लोग जमा है। कोरोना से संक्रमित भी है। और वहाँ से निकल कर और भी लोगो को ये बीमारी फैला रहे है। हद होती है ऐसे लोगो की मानसिकता की, और उनके धार्मिकता की । इनमें से कुछ लोग अफवाह फैलाने में भी लगे है। ऐसा लगता है कि ये जानबूझ कर ये बीमारी फैला रहे है। मेरा अपना मानना है कि हो सकता है कि अब आतंकवादी इस कोरोना को भी अपना हथियार बना ले, और अपने स्लीपर सेल से इस हथियार का इस्तेमाल कराये। तो सरकार को और भी सजग रहना पड़ेगा ऐसे लोगो से, क्योकि वो ऐसा भी कर सकते है।

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मेरी आपसे यही अपील है कि आप जहाँ है वही रहे । आप भूखे नहीं मरेंगे ये आप समझ लिजिए । हाँ हो सकता है कि आपको एक-दो शाम भूखा रहना पड़े लेकिन इससे आप जिंदा रहेंगे और दूसरी बात कि आप किसी दूसरे के मौत के जिम्मेदार नही होंगे। जहाँ पूरा विश्व इस संकट को झेल रहा है तो आप जहाँ भी जायेंगे आपको ये समस्या वहाँ भी झेलनी पड़ेगी । तो कृपा करके आप सभी अपने गाँव जाने का इरादा बदल ले और देश की समस्या को और न बढाये। देश को और पीछे न ढकेले ।

मेरी समझ में ये नही आ रहा है कि जब केंद्र सरकार ने पूरी जिम्मेदारी से लॉकडाउन का सख्ती से पालन करने को कहा था फिर ये लोग घर से बाहर इस कदर क्यों निकलने लगे। प्रशासन क्या समझ रही थी कि ये सभी कुंभ के मेले में जा रहे है । किसी ने रोका नहीं, किसी ने टोका नही । भीड़ को बढने दिया। और अंत में ये दिल्ली की राज्य सरकार और यू0पी की सरकार ने इसके लिए बसों का इंतजाम भी कर दिया। बस का नाम सुनते ही भीड़ और बढ गई । और भीड़ ऐसी की प्रशासन के काबू के बाहर । अब सरकार क्या करें ? कोरोना के बारे में सोचे या इस भीड़ के बारे में सोचे । या फिर लगता है कि इन परिस्थितियों में राज्य सरकारें राजनीति करने से बाज नही आ रही ।

1 comment(s)

  • Mamta Shishodia

    Be safe don't be a Corona bomb,Stay safe and keep your family safe and pls support the decision of government of India.

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