खामोशी
खामोशी ये जो तुम्हारी है
दिल की कह रही कहानी है ।
पलकों के गिरने की जो आहट है
जैसे चुप बैठी कोई दीवानी है ।
संभलो नहीं जरा भी मेरी बातों से
लगती अच्छी तेरी ये नादानी है ।
बिखेरो न होठों के पंखुड़ी को
अभी तो पी है बेखुदी अभी बाकी है ।
पूछो न तमन्ना दिल की मुझसे
मुख़्तसर सी जिंदगी साथ निभानी है ।
Manisha raghav
Bahut khub