तेरी बेवफ़ाई
तूने आदत ये कैसी बना ली है
दिल के जख्मों को मेरे यूँही कोड़ना
खिलौना समझकर वो दिल तोड़ देती
जैसे शाखों से पत्तों को यूँ तोड़ना
महफिल में रकीबों से गले मिलके फिर
मुस्कुराकर फिजा में जहर घोलना
यकीं होता नही खुदगर्ज है तू पर
तेरे बारे में सबका है यही सोचना
देखता हूँ राह मैं अभी भी तुम्हारा
लौट आओ कही से न मुझे छोड़ना
Shashikant Sharma
Very nice
ARUNAKAR
Nice lines sir directly attacking the heart....... 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌